The Single Best Strategy To Use For sidh kunjika
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः
No among the limbs of the Chaṇḍī Pāṭhaḥ is effective at conveying all the mystery with the Glory with the Goddess.
न सूक्तं नापि ध्यानं च, न न्यासो न च वार्चनम्।।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
ओं अस्य श्री कुञ्जिका स्तोत्रमन्त्रस्य सदाशिव ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, श्रीत्रिगुणात्मिका देवता, ओं ऐं बीजं, ओं ह्रीं शक्तिः, ओं क्लीं कीलकम्, मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे click here विनियोगः ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ परम कल्याणकारी है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र आपके जीवन की समस्याओं और विघ्नों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली उपाय है। मां दुर्गा के इस स्तोत्र का जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है, उसके समस्त कष्टों का अंत होता है। प्रस्तुत है श्रीरुद्रयामल के गौरीतंत्र में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ